भारतीय लोकतंत्र मे चुनाव एवं संचार व्यवस्था

Authors

  • श्रीमति संगीता जैन रानी दुर्गावती विष्व़ि़व़द्यालय, जबलपुर

Keywords:

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Abstract

भारत विष्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देष हैं और यहां लोकतांत्रिक मूल्य आजादी से लेकर वर्तमान तक जीवंत बने हुए हैं। देष की आजादी के साथ ही ’प्रजा’ का रूपातंरण ’जनता’ मेें हो गया। संविधान के अनुसार ही देष का काम चलने लगा और इसके तहत ही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का गठन हुआ। प्रजातंत्र के आधारभूत सिंद्धात व्यस्क मताधिकार को स्वीकार किया गया। जहां चुनाव और निर्वाचन के माध्यम से जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती हैं और ये चुने हुये प्रतिनिधि ही देष का षासन चलाते हैं। जनता को षासन अर्थात इन जनप्रतिनिधियों तक अपनी आवाज पहुचाने एवं जनप्रतिनिधियों को अपने द्वारा किये कार्यो से जनता को अवगत कराने के लिए जिस माध्यम की आवष्यकता होती हैं वह हैं एक अच्छी संचार व्यवस्था। जिसके अंतर्गत समाचार पत्र, पत्रिकाएं, दूरदर्षन, आकाषवाणी एवम वर्तमान में तकनीकी क्रांति के फलस्वरूप जन्में इलेक्ट्रानिक माध्यम कम्प्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल, यू-ट्यूब, ट्वीटर आदि को सम्मिलित किया गया हैं। एक स्वस्थ लोकतंत्र में जरूरी बात यह होनी चाहिए कि  जनता के नाम पर चलने वाले जनतंत्र में आम जनता की षिरकत कितनी हैं? खासतौर पर लोकतंत्र में लोक चेतना जाग्रत करना भी जरूरी हैं। इस परिप्रेक्ष्य में हम संचार माध्यमों को दरकिनार नहीं कर सकते हैं जिसके द्वारा ही जनता में जागरूकता पैदा होती हैं।

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Published

2015-01-31