विशेष आलेख- बहुमुखी साहित्यिक प्रतिभा के धनी श्री मोहन जी श्रीवास्तव

Authors

  • डाॅ. दिनेश प्रस मिश्र ग्राम पोस्ट मसीरा, वाया जयसिंहनगर जिला शहडोल पिन- 484771 म0प्र0

Keywords:

छपास, व्याख्याता, पदोन्नत।

Abstract

छपास और चमक-दमक से दूर खुद को ही साहित्य की एक विधा बना देने वाले स्वर्गीय श्री मोहन जी श्रीवास्तव का जन्म 10 जुलाई सन् 1933 को शहडोल के प्रथम वकील स्व0 श्री ब्रजबहादुर लाल श्रीवास्तव और श्रीमती सरस्वती देवी के प्रथम संतान के रूप मे हुआ। स्व0 श्री मोहन जी श्रीवास्तव की तीन बहने और एक भाई है । श्री मोहन जी की शिक्षा मैट्रिक तक शहडोल मे हुई । सन् 1950 मे मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद श्री मोहन जी आगे की पढ़ाई दरबार कालेज रीवा मे पूरी की । सन् 1955 मे बी.ए. करने के बाद उसी वर्ष ये उच्च श्रेणी शिक्षक पद पर नियुक्त हो गये । सन् 1960 मे ये हायर सेकण्ड्री स्कूल के व्याख्याता के पद पर पदोन्नत हुये । व्याख्याता बनने के बाद कई बार इनकी पदोन्नति प्राचार्य पद पर हुई लेकिन इस पद को श्री मोहन जी कभी भी स्वीकार नही किये तथा बी.टी.आई. वर्तमान नाम डाइट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान शहडोल) से सन 1993 मे व्याख्याता पद से सेवानिवृत्त हुये ।

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Published

2015-03-03