राजस्थान वैट प्रणाली - उदयपुर शहर में प्रभावी घटकों का एक विष्लेषण

Authors

  • Dr. CA. Hemant Kaduniya Guest Faculty of UCCMS, MLSU,Udaipur PIM, Pacific University, Udaipur

Keywords:

वैट, पारदर्षी, मुद्रा स्फीति, पारदर्षिता।

Abstract

वैट से पूर्व कर विक्रय कर के अधिन विभाग एक व्यापारी द्वारा माल की खरीद को अन्य व्यापारी की विक्रय से मिलान नहीं करता था जिस कारण कर चोरी का पता लगाना सम्भव नहीं हो पाता था। इस हेतु वैट को एक सरल तथा पारदर्षी प्रणाली के रूप में वर्ष 2006 में राजस्थान में लागू किया गया। वैट आउटपुट कर में से इनपुट कर के समायोजन की व्यवस्था पर आधारित है। प्रस्तुत शोध में वैट के लागू होने तथा कर समायोजन प्रणाली का विष्लेषण किया गया है। वैट द्वारा राजस्व वृद्धि, पारदर्षिता, कर चोरी, सामग्री लागत, मुद्रा स्फीति, प्रक्रियागत कठिनाईयाँ, व्यापारियों की आर्थिक स्थिति, इनपुट आउटपुट मिलान समस्या आदि तत्वों को आधार मानकर उपर्युक्त विष्लेषण किया गया। टी टेस्ट के माध्यम से प्राप्त परिणामों में पाया गया कि जहाँ वैट द्वारा राजस्व  वृद्धि, पारदर्षिता में वृद्धि तथा कर चोरी में कमी हुई है वहीं इसके कारण प्रदेष में सामग्री लागत, मुद्रा स्फीति, प्रक्रियागत कठिनाईयां तथा मिलान समस्या में भी वृद्धि हुई है।

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2015-03-31

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