षिक्षित बेरोजगारी में वरिष्ठ नागरिकों के प्रभाव का अध्ययन

Authors

  • डांॅ. आर. एस मिश्रा विभागाध्यक्ष षिक्षा ए. के. एस. विष्वविद्यालय सतना

Keywords:

जीवन, चहुँमुखी, प्रकाश, दीर्घकालीन।

Abstract

शिक्षा प्रकाश का वह स्त्रोत है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में व्यक्ति का सच्चा पथ प्रदर्शन करती है। ’’ शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगींण विकास, समाज की चहुँमुखी उन्नति और सभ्यता की बहुमुखी प्रगति की आधारशिला है। शिक्षा को मनुष्य का तीसरा नेत्र माना गया है। शिक्षा का प्रकाश व्यक्ति के सब संशयों का उन्मूलन और उनकी सब बाधॅंाओं का निवारण करता है। बेरोजगारी को दूर करने के लिये शिक्षा प्रमुख अस्त्र है। परन्तु भारत में शिक्षा रोजगार हेतु उतनी प्रभावपूर्ण नही हो पायी है, जिससे बेरोजगारी न पनप सकें। हम अपने स्कूल कालेजों में अभी तक रोजगार की योग्यता प्रदान करने वाली शिक्षा का प्रचलन नही कर पायें हैं, जिससे बेरोजगारी में वृद्धि न हो। वहीं दूसरी ओर शिक्षित वरिष्ठ नागरिक शासकीय संस्थानों में से सेवानिवृत्त होने के बाद निजी संस्थानों में अपनी योग्यता ओर दीर्घकालीन अनुभव के कारण पुनः सेवायें देने लगते हैं। जिससे शिक्षित युवाओं के रोजगार का अधिकार बुरी तरह प्रभावित होता है। और वृत्तिहीन लोगों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती रहती है।

References

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Published

2015-04-30

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Articles