विषेष आलेख - साहित्यकार श्री रामगोपाल मिश्र के काव्य संकलन ‘‘प्यार के गीत’’ एवं ‘‘मन के गीत’’ की (पुस्तक) समीक्षा

Authors

  • डाॅ0 दिनेष प्रसाद मिश्र वार्ड नं.- 09 ग्राम पोस्ट मसीरा वाया जयसिंहनगर 484771 जिला षहडोल (म0प्र0)

Keywords:

बहुमुखी, बंधुत्व, आदर्ष, सामाजिक।

Abstract

ग्राम हर्री, जिला षहडोल म0प्र0 निवासी श्री रामगोपाल मिश्र बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार हंै । उनके द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘प्यार के गीत’ एवं ‘मन के गीत’ साहित्य के लिये मील का पत्थर सिद्ध हांेगी । काव्य संकलन मन के गीत में पचास तथा ‘प्यार के गीत’ में बाईस कवितायें संग्रहीत हैं । मन के गीत की संपूर्ण कवितायें क्रांति, षांति एवं अध्यात्म की त्रिवेणी के रूप में तथा प्यार के गीत की संपूर्ण कवितायें मानवीय एकता, समता एवं बंधुत्व का घोषणा-पत्र के रूप में प्रस्तुत की गई हैं । कवि ने अपने अनुभवों को पाठको के साथ बांटनें का सफल प्रयास तो किया है, साथ ही विभिन्न स्तरों पर व्यवस्था की खामियों का उल्लेख किया है। इनकी कविताओं में एक ओर गांधीवादी, आदर्ष समानता, न्याय सबके प्रति प्रेम श्रमिक एवं किसानों के प्रति लगाव का भाव है तो दूसरी ओर जनसंख्या एवं पर्यावरण की समस्या, मिथ्या, आडम्बर, अप संस्कृति, मानव मूल्यों की गिरावट जाति एवं धर्म के नाम पर संघर्ष, राजनेताओं एवं राजनीति का पतन, सामाजिक संबंधों के कड़वाहट इत्यादि का सजीव चित्रण इनकी कविताओं में दिखाई देता है ।

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Published

2015-04-30

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Articles