भू-मण्डलीय तापन-जीवन के लिए खतरा

Authors

  • डा0 मोहन लाल ‘आर्य’ सहायक प्राध्यापक शिक्षाशास्त्र विभाग आईएफटीएम विश्वविद्यालय, लोधीपुर राजपूत, मुरादाबाद (उ0प्र0)

Keywords:

तबाही, उत्सर्जन, तापीय ।

Abstract

सारांष - पर्यावरण समस्या के वर्तमान सन्दर्भ में भू-मण्डलीय तापन इस कदर चर्चा में है कि इसकी गूँज दुनिया के हर कोने में सुनाई दे रही है। विगत दशकों में मानव द्वारा ग्रीन हाउस गैसों के व्यापक उत्सर्जन से पृथ्वी के वायुमण्डलीय औसत तापमान में हो रही वृद्धि के कारण जलवायु के व्यवहार में उथल-पुथल मची हुई है, वह समूची पृथ्वी और जीव समुदाय के लिए खतरे की घण्टी बन गई है। अगर मानव जनित तापीय गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि को नियन्त्रित नहीं किया गया तो वह पृथ्वी को एक ऐसी दिशा की ओर ले जाकर खड़ा कर देगी कि जहाँ तबाही को रोकना मुष्किल होगा। इस ज्वलन्त समस्या से पृथ्वी को बचाने के लिए विकासशील देशों तथा विशेष रूप से विकसित देशों को पर्यावरण मानकों का अनिवार्य पालन निश्चित रूप करना होगा। 

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Published

2015-06-04

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Articles