भारतीय उच्च शिक्षा का सामाजिक मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में स्वरूप

Authors

  • कृतिका कुमारी, अरुण कुमार कुलश्रेष्ठ शोध छात्रा, शिक्षा संकाय, दयालबाग़ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी), आगरा सहायक प्राध्यापक, शिक्षा संकाय, दयालबाग़ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी), आगरा सह प्राध्यापक, शिक्षा संकाय, दयालबाग़ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी), आगरा

Keywords:

भारतीय उच्च शिक्षा, सामाजिक मूल्य, चारित्रिक मूल्य, नैतिक मूल्य

Abstract

विश्व में यू० एस० ए० व चीन के पश्चात् तीसरी वृहदतम उच्च शिक्षा व्यवस्था भारत की है। वर्तमान में, उच्च शिक्षा की प्रगति अपने चरम पर है, फलस्वरूप विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, शिक्षकों व छात्रों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है व उच्च शिक्षा प्राप्त करना आसान हो गया है। भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आई० आई० टी०, आई० आई० एम० आदि बेहद चिरपरिचित व स्थापित नाम हैं, परन्तु काकोडकर समिति की रिपोर्ट के अनुसार ये स्थापित संस्थान भी समाज को कोई लाभ देने में सक्षम नहीं है। यह बड़ा ही सोचनीय विषय है कि एक ओर उच्च शिक्षा, विज्ञान व तकनीकी के युग में आधुनिकता व भौतिकता से परिपूर्ण मनुष्य व सामाजिक वातावरण उत्पन्न कर रही है वहीं दूसरी ओर ये भौतिकता व आधुनिकता ही मनुष्य को उनके सामाजिक दायित्वों व कर्तव्यों से विमुख कर रही है। वर्तमान में, उच्च शिक्षित मनुष्यों में ही सर्वप्रथम चारित्रिक, नैतिक व सामाजिक मूल्यों का पतन हो रहा है।परिणामस्वरूप, हमारी शिक्षा व्यवस्था उच्च शिक्षा प्राप्त संस्कृतिविहीन मनुष्यों को उत्पन्न कर रही है जो भविष्य में हमारे राष्ट्र के लिए ही अत्यंत घातक सिद्ध हो सकता है। यह समीक्षात्मक लेखभारतीय उच्च शिक्षा का सामाजिक मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में स्वरुप का विस्तृत वर्णन तथा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक मूल्यों को समावेशित करने हेतु विभिन्न सुझाव प्रस्तुत करता है। जिसके माध्यम सेभारत के विकास व निर्माण में अपना सार्थक योगदान देने हेतु विज्ञान व तकनीकी के साथ सामाजिक, चारित्रिक व नैतिक रूप से उन्नत भावी उच्च शिक्षित पीढ़ी प्राप्त हो सके।

References

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Published

2015-06-30

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Articles