पंचायती राज एवं महिला विकास

Authors

  • कु0 संध्या चैरस ब्रिजेष वर्मा रानी दुर्गावती विष्वविद्यालय, जबलपुर शास0 ठाकुर रणमत सिंह स्वषासी महावि0, रीवा

Keywords:

पंचायतीराज, आरक्षित, सर्वश्रेष्ठ, विभूषित।

Abstract

73वें संविधान संषोधन द्वारा पंचायतीराज व्यवस्था के अंतर्गत महिलाआंे के लिये एक तिहाई स्थान आरक्षित किये गये है। इसके फलस्वरुप महिलाओं की प्रस्थिति में काफी सुधार हुआ है। प्रस्तुत लेख पंचायतीराज व्यवस्था के फलस्वरुप महिलाओं की प्रस्थिति व भागीदारी में हो रहे परिवर्तनों को प्रदर्षित करने का एक प्रयास है।
‘‘नारी की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति या अवनति निर्धारित है।’’
-अरस्तू
भारत जैसे विकासषील देष में महिलाओं के विकास के बिना ‘‘विकास’’ संभव नहीं हो सकता है। नारी सृष्टि के निर्माता की अद्वितीय रचना है। सृष्टि निर्माता की सारी सृष्टि नारी से ही चलती है। नारी जिसे धर्म, दर्षन में शक्ति का स्वरुप माना जाता है। जिसे हम महिला का संबांधन भी देते हैं, जो धरती की तरह धीरज, धैर्य धारण करने की शक्ति रखती है वह महिला है। यह धरती जिस पर हम जन्म से मृत्यु तक का सफर तय करते है वह भी धरती मां कहलाती है। जल जिसके बिना जीवन कुछ नहीं है को भी गंगा, नर्मदा, यमुना, कृष्णा, कावेरी के नामों से विभूषित किया जाता है। और तो और सारे जहां से अच्छा इस राष्ट्र को भी हमने भारत मां कहा आखिर क्यों ? इसलिये मां जो कि नारी या महिला होती है वह संसार में सबसे श्रेष्ठ होती है जिसके बिना संसार ही संभव नहीं है, परन्तु यहां पर चिंतन का विषय यह है कि संसार में सर्वश्रेष्ठ होते हुए भी महिला उदासीन होकर निर्बल क्यों बनी है ? क्योंकि जब देवताओं पर संकट आता है तो उसको दूर करने के लिये ये देवी मां का सहारा लेते हैं जिसे दुर्गा, काली आदि नामांे से जाना जाता है। भारत विष्व के उन देषों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जहां नारी को संघर्ष का प्रतीक माना जाता है।

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Published

2015-06-30

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Articles