‘‘पातालकोट क्षेत्र के भारिया जनजातियों की आर्थिक स्थिति का अध्ययन‘‘

Authors

  • Dr Arvind Sah

Abstract

किसी समाज या समुदाय के
जनजीवन का अध्ययन सामाजिक शोध
की प्राचीन परम्परा है। सामाजिक शोध
के अंतर्गत समाजशास्त्री घटकों की
विवचेना के साथ-साथ हम आर्थिक
संरचनात्मक तत्वों की भी समीक्षा करते
हैं। आर्थिक संरचना और सामाजिक
विकास को समाज विज्ञानियों ने एक
दूसरे का परस्पर पूरक माना गया है।
विश्व के सभी भू-भागों के क्षेत्रीय
निवासी अपने भू-भाग के प्राकृतिक
संसाधनों पर श्रम कर जो उत्पादन करते
हैं। उसी से उनका भरण पोषण होता
है। श्रम और श्रम फल अर्थात् उत्पादन
पर समाज की अर्थव्यस्था आधारित होता
है।

References

आचार्य दीपक - छिन्दवाड़ा छवी:

पातालकोट और दीपक आचार्य

छिन्दवाड़ा छवी डाट ब्लाग स्पाट

डाट काॅम 2008

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Published

2015-09-30