नीति और राजनीति के संबंध मंे महात्मागांधी के विचार
Abstract
मानव में दो प्रकार की इच्छायें होती है।एक तो अपना निजी स्वार्थ साधने की
जिसकी पूर्ति का प्रयत्न करना ही अनीति
है। दूसरे प्रकार की इच्छाये वे होती है
जिसके कारण व्यक्ति हमेशा भले बनने
का प्रयास करता है ऐसी इच्छाओं की पूर्ति
के लिए किए गए आचरण एवं व्यवहार
का नाम ही सच्ची नीति है। सामान्य
शास्त्र बतलाते है कि दुनिया कैसी है।
नीति मार्ग बतलाते है कि दुनिया कैसी
होनी चाहिये। इस मार्ग से यह पता चला
है कि मनुष्य को किस प्रकार का आचरण
करना चाहिये। सच्ची नीति का नियम
यही है कि उसमें व्यक्ति के लिए अपने
परिचित मार्ग पर चलना ही वश नहीं
बल्कि जिस परिचित मार्ग को मनुष्य
सच्चा समझता है उसमें वह परिचित हो
या न हो फिर भी उस पर वह चले ।
References
महात्मा गांधी, मार्डन रिव्यू
अक्टूबर 53 पृ. 413
महात्मा गांधी, यंग इंडिया 2.6.
महात्मा गांधी, यंग इंडिया 20.
1927
महात्मा गांधी, हरिजन 25.3.
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