’’हिन्दी गद्य का विकास’’

Authors

  • डाॅ. प्रियम्वद मिश्रा रा.दु.वि.वि., जबलपुर

Keywords:

इतिहास, साहित्य, अस्तित्व।

Abstract

हिन्दी गद्य का क्रमबद्ध इतिहास 19वीं शती से प्राप्त होता है। आधुनिक युग में जिस खड़ी बोली के गद्य का इतना व्यापक प्रसार दिखाई देता है। उसका इतिहास अति प्राचीन है। साहित्य के विकास क्रम में पद्य पहले आता है गद्य बाद में। हिन्दी साहित्य के इतिहास के चार कालों में विभक्त किया जाता है।
1.वीरगाथाकाल - आदिकाल - 1000-1400
2.पूर्व मध्यकाल - भक्तिकाल - 1400-1700
3.उ. मध्यकाल - रीतिकाल - 1700-1900
4.आ. काल - गद्यकाल - 1900 - वर्तमान
इनमें से प्रथम तीन कालों में पद्य साहित्य की प्रमुखता है। आधुनिक काल जिसे गद्यकाल कभी कहा जाता है, गद्य के प्रवर्तन, विकास और प्रौढ़ता का युग है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि प्रथम तीन कालों में गद्य का अस्तित्व ही नहीं था। प्रारंभ में गद्य व्यवहार एवं बोलचाल का माध्यम रहा है, यह बात निर्विवाद सत्य है। हिन्दी खड़ी बोली गद्य का विधिवत विकास यद्यपि 19वीं शताब्दी से प्रारंभ होता है परन्तु इससे पूर्व भी हिन्दी गद्य का अस्तित्व मुख्यतः तीन रूपों में विद्यमान मिलता है।

References

हिंदी साहित्य का इतिहास - डाॅ. नगेन्द्र

भारतेन्दु-युग और हिंदी भाषा की विकास - परंपरा - डाॅ. रामविलास शर्मा

हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास - डाॅ. रामकुमार वर्मा

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Published

2015-03-01