‘‘अथर्ववेद में अष्टांग आयुर्वेद निरूपण’’

Authors

  • डाॅ. राजन हाॅडा एस.एस.एम. काॅलेज दीनानगर

Abstract

विश्व के विद्वानों ने एकमत से स्वीकार किया है कि वेद सबसे प्राचीन ग्रन्थ है तथा उनमें रोग, कीटाणु औषधियों और मन्त्रों का वर्णन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, अत एव चरक, सुश्रुत प्रभृति आचार्यों ने आयुर्वेद को अथर्ववेद का उपाग्ड. माना है। 1 यद्यपि आयुर्वेद मानव -सृष्टि के प्रारम्भ से ही प्रादुर्भूत हुआ माना जाता है किन्तु यूरोपीय इतिहासकारों ने आज से तीन -चार हजार वर्ष के पूर्व में भारत के अन्दर चिकित्सा -शास्त्र समुन्नत था, ऐसा स्वीकृत किया है क्योंकि उनके पास यहाँ के पूर्व के ऐतिहासिक तत्त्व उपलब्ध नहीं है। किन्तु जो अब अनुसन्धान हुए हैं उनसे भारतीय संस्कृति की प्राचीनता मानी हुई परिधि से भी अधिक पुरातन सिद्ध हो रही है। मोहन्जोदारों की खुदाई ने पाश्चात्य ऐतिहासिक पण्डितों का मत परिवर्तन कर दिया है। अन्य भी शोध हो रहे हैं जिनसे प्राचीन भारत का गौरव विशेषतः प्रकाशित होने की संभावना है। यूरोप आदि पाश्चात्य देशों में हुआ, यह भी ऐतिहासिक तथ्य है।

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Published

2015-12-31