भारतीय जनजातियॅा व विवाह पद्धतियाँ

Authors

  • डाॅ0 नितिन सहारिया षासकीय.एम.एम.महाविद्यालय कोतमा, जिला अनूपपुर (म0प्र0)

Keywords:

.

Abstract

सामान्यतया लोग विवाह की वास्तविकता नहीं समझते, वे तो विवाह का अभिप्राय बारात, दावत, गाना-बजाना इत्यादि ही समझते हैं। यदि ये वस्तुएँ विवाह के अवसर पर न की जाएँ तो वे समझते हैं कि विवाह हुआ ही नहीं। वास्तविकता इस प्रकार की नहीं है। यह वस्तु तो केवल विवाह का ढाँचा मात्र ही है।
विवाह का सामाजिक अर्थ प्रायः भिन्न है। विवाह को समझने के लिए निम्न परिभाषाएँ उपयुक्त होंगी:
वेस्टरमार्क की परिभाषा:-
“विवाह एक अधिक पुरूषों का एक या अधिक स्त्रियों के साथ होने वाला वह सम्बन्ध है जो प्रथा या कानून द्वारा स्वीकृत होता है तथा जिसमें संगठन में आने वाले दोनों पक्षों तथा उनसे उत्पन्न बच्चों के अधिकार व कर्तव्यों का समावेश होता है“।
लावी की परिभाषाः-
“विवाह उन स्पष्टतः स्वीकृत संगठनों को प्रकट करता है जो इन्द्रिय सम्बन्धी संतोष के उपरान्त भी स्थित रहता है तथा पारिवारिक जीवन की आधारशिला बनाता है।“

References

देवगांवकर, एस.जी.ः- “प्राॅब्लम्स आॅफ डेव्हलपमेंट आॅफ ट्राइबल एरियास“, इंटर इंडिया पब्लिकेशन, नई दिल्ली-1980 पृ.सं. 144-188

नारायण सुधाः- ‘जनस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण’, जयपुर रिसर्च पब्लिकेशन, 1998, पृ.सं. 98-132

रायजादा, अजितः- “ट्राइबल डेव्हलपमेंट इन मध्यप्रदेश“, इंटर इंडिया पब्लिकेशन नई दिल्ली-1984, पृ.सं. 208-243

तिवारी, शिवकुमारः- “भारत की जनजाति“, नार्दन बुक सेंटर, नई दिल्ली-1992, पृ.सं. 69-88

तिवारी एस.के.ः- “दि राजगोंड्स“ आगम कला प्रकाशन नई दिल्ली-1993, पृ.सं. 122-132

शर्मा, ब्रम्हदेवः- “आदिवासी विकास एक सैद्धान्तिक विवेचन“, तृतीय आवृत्ति, म.प्र. हिन्दी ग्रंथ अकादमी, भोपाल-1986, पृ.सं. 233-248

डन्डा, ए.केः- “ट्राइबल इकाॅनामी एन्ड देयर ट्रान्सफारमेशन“ नई दिल्ली, इंडियन काउंसिल फाॅर सोशल रिसर्च, 1973, पृ.सं. 198-209

राधवैया, व्हीः- “ट्राइबल्स डेव्हलपमेंट इन मध्यप्रदेश“, इंटर इंडिया पब्लिकेशन नई दिल्ली-1990, पृ.सं. 88-94

उपाध्याय विजय शंकरः- “भारत की जनजातीय संस्कृति“, मध्यप्रदेश, हिन्दी ग्रंथ अकादमी, भोपाल संस्करण-नवम्, 2007, पृ.सं. 298-302

बैराथी, शशीः- “ट्रायबल कल्चर, इकोनोमी एण्ड हेल्थ“, रावत पब्लिकेशन, नई दिल्ली-1991, पृ.सं. 132-148

भूमिक, पी.के.ः- “ट्राइब इन द चेन्जेज सरकमस्टासेन्स आॅफ इंडिया“, मेन इन इंडिया स्पेशल, 1991, पृ.सं. 302, 333, 362

भारद्वाज ए.एन.ः- “द प्रोबलम्स आॅफ शेड्यूल कास्ट एण्ड शेड्यूल ट्राइब इन इंडिया“ लाईट एण्ड लाईफ पब्लिशर्स, नई दिल्ली, पृ.सं. 94-98

डेलिग, आर.ः- “द भील्स आॅफ वेस्टर्न इंडिया“, नेशनल पब्लिशिंग हाऊस, नई दिल्ली-1985, पृ.सं. 106-120

Downloads

Published

2015-02-28