भारत पर मुस्लिम आक्रमण और हिंदू राजाओं का प्रतिरोध - चैहानों के विषेश संदर्भ में

Authors

  • डाॅ0 नितिन सहारिया षासकीय एम.एम. महाविद्यालय कोतमा, अनूपपुर (म.प्र.)

Keywords:

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Abstract

भारत दुनिया का सनातन व पुरातन राश्ट्र है । जब दुनिया ने आँखे खोलीं तब भारत को ज्ञान -विज्ञान-दर्षन, आर्ट आॅफ लीविंग (जीवन जीने की कला) मे चरर्मोत्कर्श पर पाया। विष्व मे ‘जब सब सोए थे तब भी जगा था यह देष‘  । दुनिया के अन्य हिस्सो मे जब तीन -चार हजार वर्श पहले लोग घुमक्कड़, बर्बर, जंगली जीवन व्यतीत कर रहे थे और कच्चा मांस खाकर पेड के नीचे ठिठुरते हुए समय व्यतीत कर रहे थे । उससे लाखो वर्श पूर्व त्रेता व द्वापर युग में भारत व भारतीय संस्कृति चरर्मोत्कर्श पर थी। यहां पुश्पक विमान व ब्रम्हास्त्र जैसे दिव्य यंत्र थे। मंत्र षक्ति से चलने वाले यान थे । अक्षयपात्र व छप्पन प्रकार के व्यन्जन भारत मे बनाये जाते थे । संगीत के सात स्वर व नादयोग पर गहन अनुसंधान हो चुका था । योग, यज्ञ, सूर्य,आयुर्वेद,षल्यचिकित्सा, संजीवनी विद्या, खगोलषास्त्र, वास्तुषास्त्र, अंक ज्योतिश खगोल षास्त्र,प्राकार की, नगर, इत्यादि विज्ञान एवं चैसठ प्रकार उपकलाओं का भारत मे उद्भव ही नही हुआ वरन चरर्मोत्कर्श पर थीं। भारत ने दुनिया को षून्य, दषमलव, पाई का मान, वोधायन प्रमेय, इत्यादि प्रदान किया । भारत वर्श के ऋशियों ने ‘वसुधैव कुटुम्बकंम‘ के भाव से विष्व को षिक्षित करने हेतु विष्व में संचार किया । इन्ही उदात्त विचारों, भावो के कारण ही तो भारत दुनिया का सिरमौर, जगतगुरू था एवं भारतीय संस्कृति विष्व की प्रथम संस्कृति है । ऋग्वेद इसका प्रमाण ‘सा प्रथमा संस्कृति विष्वाराः‘ के रूप मे देता है ।

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Published

2015-05-30

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Articles