शिक्षा का व्यवसायीकरण एवं विदेशी विशवविधालयों का प्रभाव

Authors

  • डाॅ. श्रीमती अन ब्यौहार प्राचार्य ए.पी.नर्मदा महाविद्यालय जबलपुर

Keywords:

Abstract

देश के कुछ लोगों में ऐसा भी भ्रम हैं कि भारत में अंग्रेजों के आने के बाद शिक्षा का विस्तार एवं विकास हुआ। जबकि ईसा से 1700 वर्ष पूर्व तक्षषिला विष्वविद्यालय (वर्तमान पाकिस्तान में) उच्च शिक्षा का महान केन्द्र था। इसके अतिरिक्त काषी, नालंदा, विक्रमषिला आदि विष्वविद्यालय थे, जिसमें विशव  भर से लोग ज्ञान प्राप्त करने आते थे, यह प्रचलित एवं वैष्विक स्तर पर सर्व स्वीकार्य तथ्य है। इसी प्रकार लगभग एक हजार वर्ष के संघर्ष के बाद अंग्रेजों के भारत में आने के बाद ई.स. 1820 में 33 प्रतिषत साक्षरता (विष्व में सबसे अधिक) भारत में थी। प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक धर्मपाल जी ने अपनी पुस्तक ‘‘दी ब्यूटीफुल ट्री’’ में लिखा है कि पूर्व पादरी श्री विलियम्स एडम के किये सर्वे के अनुसार बंगाल एवं बिहार में एक लाख से ज्यादा विद्यालय थे। मद्रास प्रेसिडेन्सी में हर गांव में विद्यालय थे। षिक्षा का व्यावसायीकरण आज देष के समक्ष बड़ी चुनौती हैं। यह संकट देष में विगत 40-45 वर्षों में उभरकर आया है, परन्तु वास्तव में उसकी नींव अंग्रेज मैकाॅले द्वारा स्थापित षिक्षा में हैं। इसके पूर्व भारत में षिक्षा कभी व्यवसाय नहीं थी।

References

जौहरी एवं पाठक (1995), ‘भारतीय षिक्षा का इतिहास’ विनोद पुस्तक मंदिर, आगरा।

षर्मा, पं. श्रीराम, 2009, संत विनोबा भावे युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, मथुरा।

पचैरी, डाॅ. गिरीष (2006), ‘उदीयमान भारतीय समाज में षिक्षा’, लाॅयल बुक डिपों, मेरठ।

http.//www.bhartiyashiksha.com/

Downloads

Published

2016-11-30