सर्वांग शिक्षा दर्शन और समाज

Authors

  • सरला साहू एम.ए.गोल्ड मेडलिस्ट, एम.फिल शोध छात्रा-दर्शन शास्त्र रा.दु.वि.वि., जबलपुर

Keywords:

Abstract

वह विद्या है जो मानव को मुक्ति का मार्ग दिखाती है । शिक्षा के द्वारा ही शरीर, मन और आत्मा को विकास द्वारा ही मुक्ति का साधन माना गया है ।शिक्षा केवल चिन्तन तक का लक्ष्य निर्धारित नहीं करती अपितु सर्वांगीण विकास द्वारा उसे पूर्ण मानव बनाना है, ऐसा मानव जो परिवार, समाज एवं राष्ट्र के लिए परम उपयोगी हो।

References

.श्री अरविन्द, एसेज आनन्द गीता, भाग 2, आर्य पब्लिषिंग हाउस, कलकत्ता, 199 पृ. 319

श्री अरविन्द, ए. सिस्टम आव नेषनल, एजुकेषन, आर्य पब्लिषिंग हाउस, कलकत्ता (1948) पृष्ठ-1

श्लोक ‘‘इन्टरनेट द्वारा’’

महात्मा गांधी- इन्टरनेट द्वारा

स्वामी विवेकानंद - इन्टरनेट द्वारा

ई-एजुकेषन- इन्टरनेट द्वारा

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Published

2016-12-30