‘‘उच्च शिक्षा प्रणाली की समस्या एवं निराकरण’’

Authors

  • डाॅ. प्रियम्वद मिश्रा हिन्दी विभाग रा.दु.वि.वि., जबलपुर

Keywords:

Abstract

उच्चशिक्षा ज्ञान, उचित वातावरण और तकनीकी दक्षता शिक्षण और विद्या प्राप्ति का समावेशित रूप है। इस प्रकार यह कौशल, व्यापार, व्यवसाय के साथ-साथ मानसिक, नैतिक, शैक्षिक स्तर के उत्कर्ष पर केंद्रित होता है। आज देश भर में लगभग चार सौ पचास विश्वविद्यालय हैं जो यूजीसी के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। इनके अतिरिक्त अन्य तरह के गैर सरकारी और सरकारी शिक्षण संस्थाएँ भी शमिल हैं। देश में करीब 20 केंद्रीय विश्वविद्यालय है जो यूजीसी और राज्य सरकारों के वित्तीय प्रबंधन से चलते हैं।
आज हमारी पांरपरिक विश्वविद्यालयीन व्यवस्था एवं संपूर्ण शिक्षा प्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। पिछले दो दशकों में शैक्षिक स्तरों में निरंतर गिरावट आई है और यह गिरावट दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसका एक प्रमुख कारण सरकारों की उच्चशिक्षा के प्रति बढ़ी उपेक्षा है। परिणामस्वरूप आज विश्वविद्यालयों, में पिछले बीस-तीस बरसों से प्राध्यापकों की नियुक्तियाँ नहीं हुई। वर्तमान परिस्थितियों की दरकार है कि दक्ष, योग्य, ज्ञानी और शोधदृष्टि सम्पन्न व्यक्तियों को स्थाई रूप से प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक पदों पर नियुक्ति किया जाए ताकि व्यक्ति अपनी निजी समस्याओं को भुलाकर शिक्षा के स्तर एवं उसकी गुणवत्ता की ओर ध्यान दे सके और एक अच्छे छात्र व समाज का निर्माण कर सके।

 

 

References

डाॅ. विनोद पाठक - भारतीय शिक्षा और उसकी समस्याएँ

डाॅ. शंकर दयाल शर्मा- भारत में शिक्षा के आयाम

डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद - साहित्य, समाज और शिक्षा

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Published

2016-11-30