प्राचीन ऐतिहासिक स्थल-आगरा
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उत्तरप्रदेष के जनपदो में आगरा जनपद एक ऐतिहासिक जनपद है। राजस्थान की सीमा पर स्थित होने के कारण इसका विषेष महत्व है। मुस्लिम एवं आंग्ल षासनकाल मे इसके भौगोलिक महत्व ने इसकी अभिवृद्धि मे बहुत ही सहयोग दिया है। अंग्रेजी षासनकाल मे 1858 तक आगरा उत्तर पष्चिमी प्रान्त की राजधानी रहा। वास्तव मे देखा जाए तो आगरा पर्यटन स्थल मुगल स्थापत्य के कारण बना।
आगरा केवल मुगल और अंग्रेजी षासनकाल में ही महत्वपूर्ण नहीं रहा बल्कि यह प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक स्थल रहा है। महाभारत काल मंे भी आगरा से पाण्डवों के संबंधित रहने के प्रमाण मिलते है। आगरा मंे पिनाहट को पाण्डव काल से संबंधित माना जाता है। जनपद मे स्थित बाणगंगा या उटंगन नदी के विषय में कहा जाता है। कि अर्जुन के बाण से इसकी उत्पत्ति हुई है।
आगरा का रूनकता परषुराम की माॅ रेणुका से संबंधित था। आगरा मंे स्थित बटेष्वर तथा सूर्यपुर गाॅंव प्राचीन है। बटेष्वर के पास सूर्यपुर सौरीपुर जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र था। आजकल बटेष्वर तथा सौरीपुर पर्यटन स्थल के रूप मे जाने जाते है।
पुरातत्व की दृष्टि से आगरा नगर से दक्षिण पष्चिम की दिषा मंे जगनेर रोड पर स्थित कागारौल भी आगरा जनपद का प्राचीन नगर है। यह टीले पर स्थित है। एवं यहाॅं प्राचीन दुर्ग के अवषेष है। कागारौल के विषय में कहा गया है। कि खगर राजा और उनके पुत्र रोल के नाम यह कागारौल के नाम से सम्बोधित होने लगा था।
References
आगरा इतिहास के तीनो काल खंडो प्राचीनकाल,मध्यकाल आधुनिककाल में इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाॅं पर विष्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। आगरा में अन्य ऐतिहासिक महत्व के स्थल है। राजा महाराजा स्वतंत्रता सेनानियो,क्रांतिकारियो का आगरा प्रमुख केन्द्र रहा है। यहाॅं पर प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक देष तथा विदेष से आते है। जिनके कारण आगरा का व्यवसाय बढ़ा है। तथा रोजगार की वृद्धि हुई।
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