ROLE OF SHG,S IN GROTH OF RURAL WOMEN ENTREPRENEURSHIP

Authors

  • Madan Murari Prajapati Research Scholar

Keywords:

Abstract

महिलायें प्रत्येक अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा है। एक राश्ट्र का सर्वांगीण एवं सामंजस्य पूर्ण विकास तभी संभव हो सकता है जब महिलाओं को पुरूशों के साथ प्रगति में बराबर का भागीदार बनाया जाये। महिलाओं के सषक्तीकरण के लिए आर्थिक विकास की मुख्य धारा में महिलाओं के श्रम का दोहन करने की आवष्यकता है। इसमंे स्व सहायता समूहों द्वारा स्थापित ग्रामीण उद्यमिता एक सषक्त अवधारणा बनती जा रही है। महिलाओं के सषक्तीकरण के लिए यह एक समग्र अवधारणा है। यह दृश्टिकोण बहुआयामी है और इसमें सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं को षामिल किया गया है। स्व-सहायता समूह 10-20 स्थानीय लोगोें का एक संगठन है जो कि समान उद्देष्य से समान आर्थिक एवं सामान सामाजिक स्थिति वाले व्यक्तियों द्वारा स्वेच्छा से बनाया जाता है। यह समूह अपनी-अपनी आपसी बचत तथा बैंकों के सूक्ष्म वित्तीयन से अपने समूह की पारिवारिक व व्यक्तिगत जरूरत को पूरा करते हैं और विकास संबंधी उद्यमिता कार्यक्रम के माध्यम से गरीबी जैसे अभिषापों को दूर करने तथा महिला सषक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में गठित 47 लाख स्व सहायता समूहों में से 90 प्रतिषत स्व सहायता समूह महिलाओं द्वारा संचालित किये जाते हैं अतः यदि समूहों का गठन प्रषिक्षण क्रियान्वयन अच्छे से किया जाये तो व्यवसाय मंे महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण प्रतीत होती जायेगी।

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Published

2017-07-31

Issue

Section

Articles