नर्मदा नदी में मत्स्य प्रजातियों की विविधता का तुलनात्मक अध्ययन, धार एवं खरगोन जिले के विशेष सन्दर्भ में

Authors

  • आकाश चैधरी आर.आर. कान्हेरे प्राणिशास्त्र-विभाग, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इन्दौर

Keywords:

Abstract

जैवविविधता का वास्तविक अर्थ जीवो की शारीरिक जातिगत एवं पारिस्थितिक तंत्र अनुरूप पाई जाने वाली विविधिता और विशिष्टता से है। यह तीन आधार ही जीवों की समग्रता, जनसंख्या तथा विशिष्ट अनुवंशिक लक्षणों को भी निर्धारित करते है। मत्स्य जैवविविधता में जैविक, अजैविक कारक तथा पारिस्थितिक तंत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। म.प्र. की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी भारत की पाँचवी सबसे बड़ी नदी मानी जाती है। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य नर्मदा नदी के धार एवं खरगोन जिले में पायी जाने वाली मत्स्य प्रजातियों की विविधता के तुलनात्मक अध्ययन से हैं। इस अध्ययन में यह पाया गया कि नर्मदा नदी में मार्च 2015 -फरवरी 2016 के मध्य 62 मत्स्य प्रजातियाँ तथा मार्च 2016- फरवरी 2017 के मध्य 60 मत्स्य प्रजातियाँ प्राप्त हुई। इसमें मुख्य मेजर कार्प, माइनर कार्प, कैटफिश, अभ्यागत (विदेशी)फिश, मुरैल्स फिश, ईल फिश, मुलेट फिश, फीदर बैक फिश और विविध फिश हैं। नर्मदा नदी के नमूने क्षेत्र के धार जिले के धरमपुरी, खलघाट तथा खरगोन जिले के महेश्वर, मण्ड़लेश्वर, बड़वाह क्षेत्र से प्राप्त मत्स्य प्रजातियों की विविधता सूचकांक का अध्ययन करने के लिए सिम्पसन-डाॅमिनेन्स सूचकांक, सिम्पसन सूचकांक आॅफ विविधता (1-क), सिम्पसन-रिसिप्रोकाॅल सूचकांक (1/क), शैनन-विनेर सूचकांक ( भ्), मार्गलिफ सूचकांक, इवीनेन्स (एकरूपता) के सूत्रो का उपयोग किया गया।

 

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