दिल्ली में पलायन और साईकिल रिक्शा चालक

Authors

  • मनोज कुमार पीएच.डी. शोधर्थीः राजनीति विज्ञानविभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय

Abstract

जीवों द्वारा एक स्थान से किसी अन्य सुविधजनक, सुगम व सुरक्षित स्थान को पलायन करने का इतिहास प्राणी जगत के उद्भव के इतिहास से जुडा हुआ है। पलायन को एक प्रक्रिया माना जा सकता है जो आदिकाल से लेकर अभी तक और भविष्य में भी कायम रहेगी। लोग पलायन क्यों करते है इसके कारणो को जानने के लिए अनेक शोधर्थीयों ने अपने-अपने तर्क दिए। विभिन्न विद्वानों ने पलायन को भिन्न-भिन्न प्रकार से परिभाषित किया है। पलायन को सामान्य अर्थों मेंµ लोगों द्वारा एक महत्वपूर्ण दूरी पर सापेक्षिक रूप में स्थाई तौर पर बसना पलायन कहलाता है। पलायन स्थायी या अस्थायी हो सकता है। पलायन के वर्गीकरण के लिए एक वैज्ञानिक मौलिक मापदण्ड दे पाना कठिन है। पलायन वास्तव में अन्तर्राष्ट्रीय, अन्तः प्रदेशीय, अन्तःनगरीय और अन्तरनगरीय हो सकता है।

References

एक स्थान से किसी अन्य स्थान की ओरपलायन करना गलत नहीं माना जा सकता है परन्तु यह पलायन एक सीमा तक हो तभी यह लाभकारी सिद्व हो सकता है। आज दिल्ली मे रिक्शा चालकों सँख्या कापफी बढ गई है इस पर सकारात्मक रूप से कदम उठाकर रोक लगाए जाने की बहुत आवश्यकता है। इन बेरोजगार लोगों का दिल्ली की ओर पलायन सीमित करने के लिए हमें एक बार पिफर से ग्रामीण क्षेत्रों से सुरूआत करनी चाहिए। हमें ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के बेहत्तर एवम् बढती मंहगाई के मुताबिक उपाय खोजने होगें क्योकि यदि ग्रामीण लागों को गँावो या इसके आस-पास के क्षेत्रों पर ही अच्छी आमदनी प्राप्त हो जाऐगी तो शायद उनके मन में शहर की ओर रोजगार की तलास में रूख करने की तीव्र इच्छा कम हो जाए। इससे दो पफायदे हो सकते है, पहला, इनकी पारम्परिक संस्कृति का अस्तित्व बना रहेगा और दूसरा ये लोग अपने घर-परिवार के साथ के साथ रह सकते जिसके और दो लाभ है, प्रथम ये लोग गलत आदतो जैसे चरस, स्मैक, गांजा, शराब इत्यादि का नशा करना, वैश्याओ के पास जाना, के जाल में पफसने से बच सकते है। दूसरा लाभ यह हो सकता कि ये लोग ;रिक्शा चालकद्ध अपने-अपने बच्चो की गतिविध्यिों पर ध्यान रख सकते है, बच्चों के अच्छे भविष्य के निर्माण में योगदान दे सकते है।

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Published

2015-03-31

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Articles